Monday, 28 April 2014

II गर II



II गर II

गर वोह ना आये तो क्या होगा..?
कुछ कम गम ज्यादा होगा..
आँख धुंदली नम ज्यादा होगा..
लुटाकर खुदको पाने का इरादा होगा..!!

गर वोह ना मिले तो क्या होगा..?
मिलना कम बिछड़ना ज्यादा होगा..
वक्त कम इन्तेजार ज्यादा होगा..
भुलाके खुदको याद उन्हें करना होगा..!!

गर वोह साथ ना चले तो क्या होगा..?
अकेले हम-सफ़र पर चलना होगा..
अंजानी राह पे नया मोड़ लाना होगा..
हमसफ़र चुन मंझिल को पाना होगा..!!

*चकोर*

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