Monday, 28 April 2014

II मन मनात II




II मन मनात II

मन मनात झुलते डुलते गाते..
मन प्रीत तराणे जैसे..!!

मन मनात उंच उड़े आकाशी..
मन भीरभीर पाखरा जैसे..!!

मन मनात खेळे हिंडे बागडे..
मन उड़े फुलपाखरु जैसे..!!

मन मनात स्वच्छंद चमचम चमके..
मन सुंदर चांदणे जैसे..!!

मन मनात फुलवे पिसारा नाचे..
मन भासे मयूर जैसे..!!

मन मनात घेते गिरकी फिरते..
मन भिरभिरते वारे जैसे..!!

मन मनात वसते उगीच हसते..
मन फसते प्रेमा जैसे..!!

*चकोर*

No comments:

Post a Comment