बहुत कुछ है..
बहुत कुछ है
फिर भी कुछ नही।
चाहत बेसुमार
पर ज़िन्दगी नाही।
पैसा है
मगर चैन नही।
मकान है,
पर घर नही।
जहाँ संतोष मिले
ऐसा कही मंजर नही।
प्रेम है
पर जताते नही
रिश्ते है
मगर निभाते नही।
किनारें हो गए जैसे
साथ कभी चलते नही।
इंसान है
मगर इंसानियत नही
विचार है
पर धारा नही।
जहां विश्वास से बैठ जाऊँ
ऐसा कोई सहारा नही।
--सुनील पवार..

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