कोई ढूंढो मुझे..
खो चुका हूं अपने ही सवालो में
जवाब की तलाश में
न जाने कब से भटक रहा हु।
जवाब की तलाश में
न जाने कब से भटक रहा हु।
कहा जाना था और कहा पहुँचा हु
कैसी यह माया है
दर दर भटक कर फिर वही पहुँचता हु।
कैसी यह माया है
दर दर भटक कर फिर वही पहुँचता हु।
अब उम्मीद भी साथ छोड़ रही है
हौसला टूटने के कगार पर है
मायूसी लिपट रही है
अपनी आगोश में जखड़ रही है।
हौसला टूटने के कगार पर है
मायूसी लिपट रही है
अपनी आगोश में जखड़ रही है।
कहा खोया हु मैं, साया भी गुम हो चुका है
अंधेरा चारो तरफ छाया है
अब कोई तो ढूंढ लो मुझे
पल दो पल में दिया भी बुझने वाला है।
--सुनिल पवार..✍️
अंधेरा चारो तरफ छाया है
अब कोई तो ढूंढ लो मुझे
पल दो पल में दिया भी बुझने वाला है।
--सुनिल पवार..✍️
No comments:
Post a Comment