Thursday, 23 May 2019

इससे पहले..

इससे पहले..
इससे पहले की देर हो जाये
आ बैठ कुछ बाते करते है।
गीले शिक़वे भूलकर सारे
फिर से मुलाकाते करते है।
देख सूरज अब ढलने को है
रंगीन शाम का लुफ्त उठाते है।
तुम चाँद बनकर फिर दमकना
हम तारों का आँगन सजाते है।
--सुनिल पवार...✍🏼

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