Thursday, 23 May 2019

यह शहर है निराला..

यह शहर है निराला..
यह शहर है निराला
इस में कितना है घोटाला।
जुग्गी झोपड़ी का बसेरा
कही ऊंची इमारतों का डेरा
यहाँ पेडों का अकाल है
पर गमलों का है मेला।
यह शहर है निराला....
कोई पेट भर कर सोया
तो कोई रोटी के लिए रोया
सब माया का है खेला
बाकी बेकार झमेला।
यह शहर है निराला..
गोरा करे काला धंदा
भिक मांगे नेक बंदा
यहाँ इंसान के भेस में
है भेड़ो का काफिला।
यह शहर है निराला...
यहाँ हर एक कोई भागे
और रात को भी जागे
यह कैसा बुना है जाला
शहर तू ने अचरज में डाला।
यह शहर है निराला..
इस में कितना है घोटाला।
--सुनिल पवार...✍️

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