Tuesday, 4 October 2016

|| वक्त के साथ ||

|| वक्त के साथ ||
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वक्त के साथ गुजरता है
जिंदगी का हर लम्हा..
यादो के घरोंदों में अक्सर
इंसान होता है तनहा..!!
हरे पत्ते सुख जाते है
हवा के साथ बिखरते है..
बिखरे मन के पत्ते मगर
बेवक्त हरे हो जाते है..!!
ढलते सूरज के साथ
ढल जाती है उम्र सारी..
झुर्रियों की लिखावट से
हो जाती है कब्र भारी..!!
हरयाली को रौंद कर
पगडंडी हो जाती मैली..
मिट्टी की कोख सुनी
ना समजा कोई पहेली..!!
***सुनिल पवार...✍🏼

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