shabda Tarang
Wednesday, 3 June 2015
||| ना जाने कब ||
ना जाने कब..
ना जाने कब मिलेगा
कश्ती को किनारा..
तनहा जिंदगी को
अब भी है इंतजार तुम्हारा..!!
ना जाने कब मिलेगी
नदिया की धारा..
प्यासे सागर को
अब भी है इंतजार तुम्हारा..!!
ना जाने कब मिलेगी
अंबर को धरा..
बरसे नयन को
अब भी है इंतजार तुम्हारा..!!
ना जाने कब बरसेगी
वह प्यार की धारा..
ना जाने कब
ख़त्म होगा इंतजार हमारा..!!
--सुनिल पवार..
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