ख़्वाब..
ख़्वाब देखा करो
ख़्वाब देखना अच्छा है।
पर सोचना जरूर
क्या सचमुच वो सच्चा है।
ख़्वाबों की ये दुनिया
वैसे तो बड़ी रंगीन होती है।
पर उनको पाने की डगर
उतनी ही संगीन होती है।
बंद आँखों से देखे गए
ख़्वाब अक़्सर टूट जाते है।
खुली आँखों से भी देखो
फिर भी कुछ पल छूट जाते है।
चाहे इरादा पक्का हो फिर भी
कुछ ख़्वाब अधूरे रह जाते है।
जो पूरे नही हो पाते कभी
वो सिर्फ ख़्वाब बनकर रह जाते है।
--सुनील पवार..

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