मैं बारिश...
यू तो हम झेलते रहे
अपने ही बारिश में भीगते रहे
सवालों के बादल में
हररोज़ घिरते रहे
हवा का रुख भी बदलता रहा
आरोप की बिजलियां कड़कड़ाती रही
तन बदन को जलाती रही
लोग लुफ्त उठाते रहे
तुम भी तो शामिल थी उनमे
तब लगा था के बदल जाऊ
पर तुम्हे खिलखिलाते देखकर
हमनें बदलने की कोशिश न की।
--सुनिल पवार...✍️
अपने ही बारिश में भीगते रहे
सवालों के बादल में
हररोज़ घिरते रहे
हवा का रुख भी बदलता रहा
आरोप की बिजलियां कड़कड़ाती रही
तन बदन को जलाती रही
लोग लुफ्त उठाते रहे
तुम भी तो शामिल थी उनमे
तब लगा था के बदल जाऊ
पर तुम्हे खिलखिलाते देखकर
हमनें बदलने की कोशिश न की।
--सुनिल पवार...✍️
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