वह दिन नहीं रहे अब..
यह सच है
वह दिन नहीं रहे अब।
रातभर जागकर
कितनी बातें होती थी तब।
वह दिन नहीं रहे अब।
रातभर जागकर
कितनी बातें होती थी तब।
पर सवाल यह है
के वक्त था या जरूरत तब।
हो सके तो जवाब देना
शायद दोनों भी नहीं रहे अब।
--सुनिल पवार...✍️
के वक्त था या जरूरत तब।
हो सके तो जवाब देना
शायद दोनों भी नहीं रहे अब।
--सुनिल पवार...✍️
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