Sunday, 10 December 2017

|| तमन्ना ||

|| तमन्ना ||
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आजकल
यह
कलम भी
जिद करती है
देखे बिना
मानती नही..
हम देते है
उसे
अपनी पहचान
मगर
वह पहचानती नही..!!

अब तो
आदत सी
हो गई है
हमे
उनकी शान में
कुछ न कुछ
लिखने की..
और
दिल-ए-तमन्ना है के
बदलो में छिपे
उस
चाँद को
देखने की..!!
**$p..✍🏼😊

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