Friday, 15 July 2016

|| कसम से ||

|| कसम से ||
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ना रखो कोई उम्मीद
तुम ख़ुशी की हम से
जोड़ा है रिश्ता हमने
अब गम से, कसम से..!!

बहलाओ ना दिल
अब कोई खिलोनो से
हर कोई खेला है यहाँ
हमारे दिल से, कसम से..!!
मत दो दिलासा अपनेपन का
न बांधो गाठ कोई सपनो से..
टूटा है हर सपना यहाँ
लगी चोट अपनोसे, कसम से..!!
चार दिन की यह जिंदगी
ना जी सके हम ढंग से
कैसे कहु के हैरान हूं
बदलते आप के रंग से
कसम से..!!
*****सुनिल पवार....😊

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