Wednesday, 3 December 2014

:::II कागज II:::


:::II कागज II:::
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कागज़ के दिल में..
ना जाने कितनी गहराई..
दिल की हर बात..
है कागज़ में समाई..!!

किसी की अच्छाई..
तो किसी की बुराई..
हर एक बात..
है कागज़ ने अपनाई..!!

मरोड़े उसे कोई..
कोई गिराए शाई..
छू सकी ना उसे..
कभी कोई रुसवाई..!!

पढ़ाई और लिखाई..
है कागज़ से आई..
करे सबको सयाना..
है दिल में सच्चाई..!!

पेडो का ये पुत्र..
अब दे रहा दुहाई..
ना काटो अब हमें..
कागज़ बचाओ भाई..!!
(पुन्हा प्रसारित)

*चकोर*
(सुनिल पवार)

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