Monday, 17 November 2014

II बिंदु II

II बिंदु II
********
तुज संबोधू बिंदु..
का म्हणू कृपा सिंधू..
तुज आरंभ म्हणू..
का अंत म्हणू बिंदु..!!

अनर्थ घडे अर्थाचा..
गाळता तुज बिंदु..
शब्द शब्द माळेचा..
अर्थ तूच बिंदु..!!

श्रृष्टित भरुन बिंदु..
नयनात वसे बिंदु..
सूर्य चंद्रात दिसे..
चांदणे तूच बिंदु..!!

जीवन एक बिंदु..
जगतो क्षण तो बिंदु..
वंदितो तुज आधी..
पूर्णत्व तूच बिंदु..!!
*चकोर*
(सुनिल पवार)

No comments:

Post a Comment