II उलझन II
अक्सर हम उलझन में फसते रहे..
सोचते रहे..कौन अपने कौन पराये..
निकला जनाजा हमारा..तब हम ने जाना..
ना कोई था अपना..ना कोई पराया..
थे हम खुद मेहमान..और सारे विदा करने आये..!!
*चकोर*
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