Wednesday, 15 January 2014

II उलझन II

II उलझन II

अक्सर हम उलझन में फसते रहे..
सोचते रहे..कौन अपने कौन पराये..
निकला जनाजा हमारा..तब हम ने जाना..
ना कोई था अपना..ना कोई पराया..
थे हम खुद  मेहमान..और सारे विदा करने आये..!!

*चकोर*
https://www.facebook.com/pages/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97/274730592665311?ref=hl

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