Sunday, 10 September 2017

|| ईद का चाँद ||

ईद का चाँद..
बिस्तर पर लेटा हुआ था
सुबह सुबह उसने आवाज़ लगाई
मानो किसी मस्जिद में अज़ान हुई
कहने लगी,
अजी उठो आज ईद है
सुना है चाँद के भी दीदार हो गए
और आप है के अब तक हो सोये हुए..!!
हम हँस के बोले
बेगम, हमारा चाँद तो रोज निकलता है
हा यह अलग बात है के
कभी कभी अमावस आ जाती है
फिर भी हमारा चाँद तो
हमारे नजरो के सामने होता है
हम क्यों जाए
किसी और चाँद के दीदार करने.?
नादान है वह सब
जो उसे गली मौहल्ले में ढूंढने है।
बस कहने की थी देरी
चाँद शर्मा के मुस्कुराया
मानो अपनी पलकों पे बिठाया
सच कहु तो
हमारे ईद को भी चार चाँद लग गए
जब चाँद हँसकर बाहों मे समाया।
***सुनिल पवार..✍🏼

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