Monday, 4 January 2021

अभी सुबह होनी बाकी है

 अभी सुबह होनी बाकी है..

ओस की बूंदों की तरह
तुम्हारा आना होता है।
पल में मोती बन जाता है
और पल में बिखर जाता है।
हम चाहकर भी
उनको छू नही सकते।
कभी सपनों से
रूबरू हो नही सकते।
अब तो लगता है जैसे
तुम्हारा अस्तित्व एक छलावा है।
आँख खुलते ही
वो ओझल हो जाता है।
फिर भी कोई शिकायत नही
तुम से
तुम मन को लुभाती हो
बस इतना काफ़ी है।
बेकरार रात गुज़रती है
इंतज़ार में
और मन कहता है
अभी सुबह होनी बाकी है।
--सुनील पवार..

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