चाँद हमारी बात न माने..
चाँद हमारी बात न माने
उसे मनाऊ तो कैसे मनाऊ।
वो बादलों में छुपा बैठा है
उसे सामने मैं कैसे लावू।
रात मदहोश हो रही है
मन में सपने पिरो रही है।
लेकिन सपनों को हवा देकर
हवा भी खामोश हो गई है।
--शब्द तरंग..✍🏼