Thursday, 6 February 2020

सर सुखाची श्रावणी..


सर सुखाची श्रावणी..


सर सुखाची श्रावणी

माझ्या अंगणात येते।

सप्तरंगांचे स्वप्न ते

नेत्री रुजवत जाते।


मन हिरवे पाचूचे

सय कोंदण गं होते..

शुभ्र दवाचे गोंदण

पानाफुलांस लाभते।


खळखळ ती ओढीची

शांत लयीत धावते।

मलयातुनी आशेच्या

अवचित डोकावते।


सरीवर सर येते

मन सैरभैर होते।

माहेराच्या भेटीलागी

ओढ जीवास लागते।

--सुनिल पवार..✍️

पानाफुलांस लाभते..!!
खळखळ गं ओढीची
शांत लयीत धावते..
मलयातुनी आशेच्या
अवचित डोकावते..!!
सरीवर सर येते
मन सैरभैर होते..
माहेरच्या भेटीलागी
ओढ जीवास लागते..!!
--सुनिल पवार..✍️


14

बेहतर यही है..

बेहतर यही है..
बहती भावनाओं को
बचाकर रख लिया जाए
मोम के दिल को
अब पत्थर बनाया जाए।
जरूरत नही है यहाँ
किसी की किसी को
बेहतर यही है अब
अपने लिए जिया जाए।
--सुनिल पवार...✍️

एक दिन आराम का..

एक दिन आराम का..
एक दिन आराम का
मुश्किल से मिलता है।
सवेरे की उम्मीद में
इंसान कुछ पल सोता है।

शरीर रुकना चाहता है
मगर मन कहाँ सुनता है।
कल फिर दौड़ना है
सपना हरदम कहता है।
--सुनिल पवार..✍️